(प्रणयकुमार बंडी)
घुग्घुस, चंद्रपुर — नगर परिषद की कचरा गाड़ियां इन दिनों जिस तरह से निजी कंपनी के अंदर घूमती नज़र आ रही हैं, उसने पूरे शहर में सवालों का ढेर खड़ा कर दिया है। जिन वाहनों का काम जनता के घर-घर से कचरा उठाना है, वे अब कंपनी की सेवा में जुटी दिखाई दे रही हैं। शहर की गलियों की सफाई भले ही अधूरी रह जाए, पर कंपनी परिसर में इनकी आवाजाही अब सोशल मीडिया पर खुलकर सामने आ चुकी है।
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि घुग्घुस नगर परिषद की आधिकारिक कचरा गाड़ियां एक निजी कंपनी के परिसर में कूड़ा उठाने का काम करती दिख रही हैं। यह वही गाड़ियां हैं जिनके लिए जनता हर महीने टैक्स भरती है, लेकिन अब यह सेवाएं जनता को नहीं, बल्कि निजी उद्योगों को मिलती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह है — आखिर यह नगर परिषद की गाड़ियां कंपनी के भीतर कर क्या रही हैं?
जनता के पैसे से कंपनी का कचरा साफ?
सूत्रों का कहना है कि शहर के पास स्थित एक बड़ी कंपनी इन दिनों विस्तार कार्य में जुटी हुई है। निर्माण कार्य और लेबर कॉलोनी के चलते वहां रोज भारी मात्रा में कचरा निकल रहा है। कंपनी के ठेकेदार और प्रबंधन को यह कचरा अपने स्तर पर साफ कराना चाहिए, लेकिन यह जिम्मेदारी नगर परिषद ने अपने सिर पर ले ली है।
यानी साफ तौर पर कहा जाए तो, जनता के पैसे से चलने वाली नगर परिषद की गाड़ियां अब कॉरपोरेट कंपनी का कचरा उठाने में व्यस्त हैं। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है बल्कि भ्रष्टाचार और पक्षपात का स्पष्ट संकेत है।
मुख्य अधिकारी क्या अनजान हैं — या मिलीभगत में हैं?
अब सबसे बड़ा सवाल उठता है — क्या नगर परिषद के मुख्य अधिकारी को इस सबकी जानकारी नहीं है?
अगर नहीं है तो यह प्रशासनिक नाकामी है।
और अगर है, तो यह सीधे तौर पर जनता के टैक्स के दुरुपयोग और सत्ता-प्रशासन के गठजोड़ का मामला बनता है।
यह भी चर्चा है कि संभवतः कुछ जनप्रतिनिधि और विपक्षी नेता इस “मौन सौदेबाज़ी” का हिस्सा हैं। एक-दूसरे पर उंगली उठाने की बजाय सबकी चुप्पी बता रही है कि कहीं न कहीं सबके अपने-अपने स्वार्थ इस सफाई के खेल में छिपे हुए हैं।
जनता से सवाल – क्या यही है “स्वच्छता अभियान”?
जब शहर की गलियों में गंदगी ढेरों में पड़ी रहती है, नालियां जाम रहती हैं, तब नगर परिषद की गाड़ियां कंपनी की चारदीवारी के भीतर सफाई करती दिखें — तो यह जनता के साथ सीधी धोखाधड़ी है।
क्या यही है स्वच्छ भारत मिशन का असली चेहरा?
क्या नगर परिषद अब जनता की नहीं, कंपनियों की ‘प्राइवेट एजेंसी’ बन चुकी है?
अब कार्रवाई जरूरी
इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। मुख्य अधिकारी से लेकर संबंधित वार्ड अधिकारी तक, सभी से जवाब मांगा जाना चाहिए।
अगर पाया गया कि नगर परिषद की संपत्ति का उपयोग निजी कंपनी के हित में किया गया है, तो यह जनहित के खिलाफ अपराध है — और दोषियों पर कठोर कार्रवाई अनिवार्य है।
घुग्घुस नगर परिषद को यह समझना होगा कि जनता की सेवा करना उनका कर्तव्य है, कंपनी की नहीं।
कचरा गाड़ियां जनता के टैक्स से खरीदी गई हैं, न कि किसी उद्योगपति की सुविधा के लिए।
अगर यह खेल इसी तरह चलता रहा, तो यह शहर की जनता के विश्वास पर सीधा प्रहार होगा — और फिर जनता जवाब जरूर देगी।





