रविवार, 04 मई 2024 की रात ड्यूटी पर जा रहे नवीन पोनगंटी की जिंदगी अचानक उस समय खत्म हो गई जब एक खड़ी ट्रक से उनकी मोटरसाइकिल जा टकराई। ट्रक सड़क के किनारे बिना किसी चेतावनी या रिफ्लेक्टर के खड़ी थी, जो कि न केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सीधे तौर पर लोगों की जान के लिए खतरा बनता है। यह दुर्घटना एक अकेले व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम की विफलता की गूंज है।
लापरवाही किसकी?
ट्रांसपोर्ट कंपनी की लापरवाही साफ झलकती है। ब्रेकडाउन होने के बाद भी ट्रक को चिन्हित करना, रिफ्लेक्टर लगाना, चेतावनी बोर्ड रखना आदि सुरक्षा उपाय अनिवार्य होते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, जो कि दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह बना।
ड्राइवर और सुपरवाइजर की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। क्या उन्हें ब्रेकडाउन की जानकारी थी? अगर हाँ, तो सुरक्षा के कदम क्यों नहीं उठाए गए?
प्रशासन और पुलिस की भूमिका
दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर ही मौत हो जाना यह दर्शाता है कि मौके पर आपातकालीन सेवाएं तुरंत नहीं पहुंच पाईं।
पोस्टमार्टम में भी देरी हुई, जो कि पीड़ित परिवार के लिए और पीड़ा बढ़ाने वाली बात है।
आर.टी.ओ. विभाग और ट्रैफिक पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठते हैं। क्या नियमित जांच नहीं होती? क्या ऐसी खड़ी गाड़ियों पर नजर नहीं रखी जाती?
परिवार की स्थिति – एक सामाजिक पीड़ा
नवीन पोनगंटी अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। अब उनके पीछे बचा परिवार—पत्नी, बेटा, माता-पिता और भाई—अर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुका है। ऐसे हादसे केवल एक व्यक्ति की जान नहीं लेते, बल्कि एक पूरे परिवार की नींव हिला देते हैं।
कंपनी द्वारा मुआवजे का आश्वासन – न्याय या समझौता?
शव को तीन घंटे तक एम्बुलेंस में रखकर परिजनों को मुआवजे के लिए लड़ना पड़ा, यह व्यवस्था की संवेदनहीनता को दर्शाता है। 8 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना एक तरह से पीड़ित परिवार को चुप कराने जैसा प्रतीत होता है, जबकि इस हादसे के जिम्मेदारों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
अब ज़रूरत क्या है?
- सख्त कार्रवाई – दोषी ड्राइवर, ट्रक मालिक और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही।
- सिस्टम में सुधार – ट्रकों के लिए रोड सेफ्टी नियमों का सख्ती से पालन और नियमित निगरानी।
- पीड़ित परिवार के लिए स्थायी सहायता – एकमुश्त मुआवजा के साथ सरकारी स्तर पर नौकरी या मासिक पेंशन जैसी व्यवस्था।
- सामाजिक जागरूकता – आम जनता को रोड सेफ्टी और ऐसे हादसों के प्रति जागरूक करना।
नवीन पोनगंटी की मौत सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, एक चेतावनी है। यह दर्शाता है कि जब तक सिस्टम, कंपनियाँ और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लेते, तब तक सड़कों पर मौतें होती रहेंगी। सवाल अब सिर्फ जवाबदेही का नहीं, बल्कि इंसानियत और न्याय का है।