इतिहास के पन्नों में 10 मई एक ऐसा दिन है जिसे भारतवासी कभी नहीं भूल सकते। यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी के रूप में दर्ज है। 1857 में आज ही के दिन, देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत एक सिपाही मंगल पांडे ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहला विद्रोह किया था। उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों पर गोली चलाकर स्वतंत्रता की लड़ाई का बिगुल फूंका था।
मंगल पांडे कौन थे?
मंगल पांडे ब्रिटिश सेना की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के एक सिपाही थे। वे उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में जन्मे थे और अपने साहस, देशभक्ति और न्याय की भावना के लिए प्रसिद्ध थे। 1857 में कंपनी की ओर से नई एनफील्ड राइफलें दी गईं, जिनकी कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी लगे होने की अफवाह फैली। यह बात हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली थी।
विद्रोह की चिंगारी
29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने विरोधस्वरूप अपने अफसरों पर हमला किया और गोली चलाई। यह घटना ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़े विद्रोह की शुरुआत बन गई। इसके बाद यह विद्रोह मेरठ, दिल्ली, कानपुर, झांसी और पूरे उत्तर भारत में फैल गया।
10 मई 1857: एक निर्णायक मोड़
10 मई 1857 को मेरठ में भारतीय सिपाहियों ने खुले विद्रोह की शुरुआत की। उन्होंने जेल तोड़ी, अंग्रेज अफसरों को मारा और दिल्ली की ओर कूच कर मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र को भारत का सम्राट घोषित किया। यह दिन भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम की औपचारिक शुरुआत माना जाता है।
ऐतिहासिक महत्व
1857 का यह संग्राम भले ही सफल नहीं हुआ, लेकिन इसने भारतीय जनता में स्वतंत्रता की भावना को प्रज्वलित कर दिया। मंगल पांडे को बाद में फांसी दे दी गई, लेकिन वे आज भी भारत में वीरता और बलिदान के प्रतीक माने जाते हैं।
10 मई 1857 भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिन है जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिला कर रख दिया। मंगल पांडे की बहादुरी और बलिदान ने आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम किया। आज भी उनका नाम स्वतंत्रता संग्राम के पहले योद्धा के रूप में गर्व से लिया जाता है।