चंद्रपुर जिले का घुग्घुस शहर, जहां आमदार किशोर जोर्गेवार का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, आजकल एक बड़ी समस्या से जूझ रहा है। यहां स्थित एक सीमेंट कंपनी में जाता कचरा न सिर्फ शहर की सुंदरता को बिगाड़ रहा है, बल्कि दुर्गंध फैलाकर नागरिकों के लिए सांस लेना भी मुश्किल कर रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह कचरा ढोने वाले वाहन किसी भी नियम-कायदों की परवाह नहीं कर रहे हैं।
इस लापरवाही के लिए केवल कंपनी को दोष देना पर्याप्त नहीं होगा। आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और नगर परिषद प्रशासन – इन सभी की भूमिका पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है। क्योंकि यह स्थिति कोई नई नहीं है। पिछले कई महीनों से RR चौक, रेलवे गेट, पुलिस स्टेशन के पास और अन्य रास्तों पर इस कचरे की दुर्गंध की शिकायतें अखबारों में प्रकाशित हो चुकी हैं।
इसके बावजूद आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित अधिकारी कंपनी से मिलीभगत कर इस मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं। जब प्रशासन जनता की तकलीफों को अनदेखा कर उद्योगों के हितों को प्राथमिकता देने लगे, तो लोकतंत्र का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन की नींद टूटेगी? क्या संबंधित विभाग इस गैरजिम्मेदार रवैये पर लगाम लगाएंगे? क्या उन ट्रांसपोर्ट वाहनों के मालिकों और चालकों पर जुर्माना लगाया जाएगा जो खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं?
घुग्घुस के आम नागरिक अब आशा लगाए बैठे हैं कि शासन-प्रशासन जाग जाएगा और ठोस कदम उठाएगा। लेकिन क्या यह आशा पूरी होगी, या फिर यह मामला भी अन्य मुद्दों की तरह सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह जाएगा? आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वास्तव में कोई कार्रवाई होती है या फिर नागरिकों को इसी दुर्गंध के साथ जीने के लिए मजबूर किया जाएगा।