दिल्ली : कांग्रेस की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कुछ महीने पहले कांग्रेस पार्टी ने मोदी और अडानी के संबंधों पर कांग्रेस अडानी के हैं कौन ( HAHK ) कैंपेन चलाया था. इसके तहत कांग्रेसने प्रधानमंत्री मोदी से 100 सवाल पूछे थे. HAHK सीरीज़ में कांग्रेसने बताया था कि अडानी ग्रुप ने कैसे बार – बार जांच एजेंसियों द्वारा अपने कंपटीशन वाली कंपनियों पर डाली गई मोदी – मेड रेड्स का लाभ उठाया है.
एयरपोर्ट्स, पोर्ट्स और हाल ही में सीमेंट जैसे क्षेत्रों में बहुमूल्य संपत्तियों को हासिल करने के लिए अडानी के साथ कंपटीशन करने वाली कंपनियों पर CBI, ED और इनकम टैक्स के छापे पड़े हैं. एजेंसियों की रेड्स के बाद ये कंपनियां बोली लगाने से खुद को अलग कर लेती हैं और संपत्ति अंततः अडानी के पास चली जाती है. यह प्रधानमंत्री के पसंदीदा बिज़नेसमैन द्वारा राज्य पर कब्ज़ा करने का एक उत्कृष्ट मामला है. यह राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली एक ऐसी चोरी है जिसे सत्ता में टॉप बैठे लोगों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है और मदद दी जाती है.
ताज़ा मामला अडानी के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट्स द्वारा सांधी इंडस्ट्रीज़ के अधिग्रहण का है. आप क्रोनोलॉजी समझिए :
• 28 अप्रैल 2023 : भारत की तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट उत्पादक श्री सीमेंट द्वारा सांधी इंडस्ट्रीज़ का अधिग्रहण करने के लिए बातचीत की ख़बर आती है.
• 21 जून 2023 : आयकर विभाग श्री सीमेंट के खिलाफ़ पांच स्थानों पर छापेमारी शुरू कर देता है.
• 19 जुलाई 2023 : श्री सीमेंट सांघी इंडस्ट्रीज़ के अधिग्रहण की दौड़ से बाहर हो जाती है.
• 3 अगस्त 2023 : अडानी के स्वामित्व वाली अंबुजा सीमेंट्स ने घोषणा की कि उसने सांघी इंडस्ट्रीज़ का अधिग्रहण कर लिया है.
गुजरात के सांधीपुरम में सांधी की यूनिट भारत का सबसे बड़ा सिंगल लोकेशन सीमेंट और क्लिंकर प्लांट है. इससे संबद्ध सांधीपुरम पोर्ट अडानी के बंदरगाहों के एकाधिकार को भी आगे बढ़ाएगा. अपने क़रीबी मित्रों के लिए इन संपत्तियों की अहमियत को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इनपर अडानी ग्रुप का नियंत्रण सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
हम जो देख रहे हैं वह प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्रों को अमीर बनाने के लिए लंबे समय से चले आ रहे जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के पैटर्न का हिस्सा है. ED और CBI जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल सिर्फ विपक्षी दलों को तोड़ने और विपक्ष की सरकारों को गिराने के लिए नहीं किया जा रहा है, जैसा कि 95% मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ़ है. इन एजेंसियों की छापेमारी के बाद मुंबई हवाई अड्डे, कृष्णापट्टनम बंदरगाह और अब , सांधी इंडस्ट्रीज़ जैसी बहुमूल्य संपत्तियों को भी अडानी समूह को सौंपा जा रहा है. पूरी उम्मीद है कि पिछले मामलों की तरह इस बार भी प्रमोटरों पर इससे इंकार करने के लिए दबाब डाला जाएगा कि छापों ने बोली से हटने के उनके फ़ैसले को प्रभावित किया है. लेकिन सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता है. प्रधानमंत्री मोदी अपने क़रीबी मित्रों के हाथों में धन को एकत्रित करने के लिए तमाम तरह के प्रबंध कर रहे हैं. जबकि दूसरी ओर भारत में असमानता ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है. देश के लोग रिकॉर्ड महंगाई और बेरोज़गारी के बोझ तले दबे जा रहे हैं. RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य के रिसर्च से पता चला है कि मोदी मेड मोनोपोलिज़ ( 3M ) की वजह से चीज़ों की क़ीमतें बढ़ रही हैं, क्योंकि एकाधिकार करने वाले उपभोक्ताओं से अधिक से अधिक कीमत वसूल रहे हैं.