नई दिल्ली: लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को पारित कर दिया है। इस विधेयक के पक्ष में 288 और विरोध में 232 मत पड़े। साथ ही, सदन ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 को भी मंजूरी दे दी, जिससे मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 निरस्त हो गया।
संशोधन विधेयक को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह कानून केवल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से संबंधित है और इसका मुस्लिम धार्मिक प्रथाओं से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान वक्फ बोर्ड को अधिक समावेशी और धर्मनिरपेक्ष बनाने के लिए लाया गया है।
मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्डों में विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। उन्होंने विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2013 में संप्रग सरकार द्वारा किए गए संशोधन के कारण देशभर में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़े।
विपक्ष का तीखा विरोध
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इसे संविधान विरोधी बताते हुए सरकार पर अल्पसंख्यकों को बदनाम करने और समाज को विभाजित करने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने इसे महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास बताया।
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कम करने की कोशिश बताया, जबकि डीएमके के ए. राजा ने इसे अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया।
सरकार का बचाव
चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक से मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों और उनकी धार्मिक प्रथाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। उन्होंने कांग्रेस पर 2013 में कानून में संशोधन कर लुटियंस दिल्ली की जमीनें वक्फ बोर्ड को सौंपने का आरोप लगाया।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और लैंगिक न्याय लाने के लिए महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। टीडीपी सांसद कृष्ण प्रसाद तेनट्टी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन ला सकता है।
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि इस विधेयक का नाम “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (UMEED)” रखा गया है, जो अल्पसंख्यकों को प्रगति की उम्मीद देगा।
हालांकि, समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह और शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत ने विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और इसका निर्णय लेने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही।
अब यह विधेयक राज्यसभा में पारित होने के लिए भेजा जाएगा।