चंद्रपुर : ऑल इंडिया सिख सोशल वेलफेअर फेडरेशनचे अध्यक्ष सरदार हरविंदरसिंह धून्नाजी ने राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक और देशभक्तिपूर्ण मंडलियों के साथ बातचीत करते हुए समुदाय की ओर से सिख गुरु के संदेश के अनुसार कहा, “मानस की जात एके समझो” ”, सिख धर्म में जातियों और उपजातियों को कोई स्थान नहीं दिया गया है. कर्म करो, कड़ी मेहनत करो, धर्म का अभ्यास करो, भगवान के नाम का स्मरण करो और अपना प्रभुत्व स्वयं बनाओ. सिख किसी भी प्रकार की रियायत या आरक्षण की भीख नहीं मांगते, आप सभी मनुष्यों की तरह एक इंसान हैं. कई समुदाय आर्थिक रूप से कमजोर हैं और हैं, ऐसे में कुछ समुदायों का आरक्षण की उम्मीद करना और अपनी बेबसी दिखाना कहां तक उचित है. हम सभी भारतीयों विशेषकर सिखों को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए और सरकार को भी ध्यान देना चाहिए कि सिखों ने इस मुद्दे पर कभी भी “ब्र” शब्द के साथ अपनी अपेक्षाओं की घोषणा नहीं की है और न ही करेंगे. आज यदि देश को प्रगति करनी है तो अपना अस्तित्व स्वयं बनाकर स्वाभिमान से जीना चाहिए तथा जनता से कर के रूप में एकत्रित की गई राशि से मुफ्त अनाज, विभिन्न उपहार तथा भविष्य के वोटों की अपेक्षाओं को असहाय होकर स्वीकार करना चाहिए. कैसे आम लोगों के हाथों को काम मिले, उन्हें उचित मजदूरी मिले और वे बिना किसी प्रलोभन में आये निडर होकर अच्छे विवेक के साथ चुनाव का सामना करें. ऐसी स्थिति बनाई जानी चाहिए जहां सिखों में महिलाओं और पुरुषों को समान दर्जा मिले. सिख धर्म कहता है “ता क्यो मंदा आखीए, जीन जम्मे राजानं” अर्थात उस स्त्री की कोख से जिससे भगवान ने भी जन्म लिया. सिखों को हमेशा याद रहता है कि गुरु वाणी उन महिलाओं के बारे में क्या कहती है जिन्होंने इस संसार की रचना को साकार किया है. कुछ राष्ट्र विरोधी सिखों के नाम पर प्रलोभन और दबाव की तकनीकें बनाकर बार-बार खालिस्तान, खालिस्तान के नारे और इस अंगूठी को जीवित रखा जा रहा है. उन सिखों से ऊपर जिनके सिख गुरुओं ने हिंदू धर्म के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. साथ ही देश की आजादी के लिए दिए गए अपने प्राणों के बलिदान को भुलाए बिना यदि खालिस्तानी शब्द का प्रयोग बंद कर दिया जाए तो इन लोगों को आतंकवादी ही बताया जाना चाहिए क्योंकि ये राष्ट्रविरोधी हैं. ताकि आने वाली पीढ़ी को गलती से भी दुख ना हो और खालिस्तानी शब्द हमेशा के लिए खत्म हो जाए.
सिखाना देश से और हमारे देश की सरकार से एक ही अपेक्षा है कि हमारे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में भारतीय संविधान के अनुसार सभी भारतीयों को अपने-अपने धर्म में पूजा जाए और सरकार उन्हें भयमुक्त माहौल में रोजगार मुहैया कराए और इनका लाभ उठाकर हमारे देश को सुजलाम् सुफलाम् बनाना चाहिए और देश से आम लोगों के मन से मजबूरी, आरक्षण जैसे शब्द को खत्म करना चाहिए. देश और देश की प्रगति के लिए सिख समुदाय के बुद्धिजीवियों को एक साथ लाना चाहिए. सिख धर्म का पवित्र उद्देश्य “कर्म करो, नाम जपो, बाटकर खाओ” और अब से “ना कोई बैरी, ना बेगाना” का संदेश इस समाज में स्थापित किया जाना चाहिए. इस प्रकार का गूढ़ विचार-मंथन बैठक में सरदार हरविंदरसिंह धून्नाजी, प्रांतीय अध्यक्ष-ऑल इंडिया सिख सोशल वेलफेयर फेडरेशन एवं उनके साथियों ने व्यक्त किया और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सर्व सुख संपन्न नंदो जैसा राष्ट्र बनाने की अपील की, जो निडर होकर लोकतंत्र में विश्वास करता हो.