भारत के इतिहास में 21 मई एक ऐसा दिन है जो हर भारतीय के दिल में एक गहरा शोक छोड़ गया। आज ही के दिन, साल 1991 में, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। यह घटना तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुई थी, जब राजीव गांधी एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे।
एक युवा नेता का उदय
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। वे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के पुत्र थे। राजनीति में उनका प्रवेश अनायास ही हुआ। वे एक पेशेवर पायलट बनना चाहते थे, लेकिन छोटे भाई संजय गांधी की 1980 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद उन्हें राजनीति में आना पड़ा।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, 1984 में राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। उन्होंने देश में कंप्यूटर क्रांति और संचार तकनीक के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत की। पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और युवाओं को राजनीति में शामिल करने के उनके प्रयास सराहनीय रहे।
हत्या और साजिश
21 मई 1991 की रात को एक आत्मघाती महिला हमलावर ने राजीव गांधी के करीब आकर खुद को बम से उड़ा लिया। हमले में राजीव गांधी सहित कई लोग मारे गए। इस हत्या के पीछे लिट्टे (LTTE) नामक तमिल आतंकवादी संगठन का हाथ बताया गया, जो श्रीलंका में भारतीय हस्तक्षेप से नाराज़ था।
देश को मिला गहरा आघात
राजीव गांधी की हत्या से देश को बड़ा धक्का लगा। यह केवल एक नेता की मृत्यु नहीं थी, बल्कि एक उदार सोच, युवा भारत के सपनों और भविष्य की दिशा देने वाले मार्गदर्शक की क्षति थी।
राजीव गांधी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके सपने आज भी भारत की प्रगति में गूंजते हैं। आधुनिक भारत की नींव रखने वाले इस युवा नेता को देश हमेशा श्रद्धांजलि देता रहेगा।
“राजीव गांधी सिर्फ नाम नहीं, एक युग थे — जो आज भी भारत की आत्मा में जीवित है।”