वियान्नी विद्या मंदिर (आईसीएसई), घुग्घुस
घुग्घुस : “स्वतंत्रता दिवस समारोह हमारे बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों और सैनिकों द्वारा किए गए अनगिनत बलिदानों की मार्मिक याद दिलाता है, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ देश की आजादी के लिए लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. हमारे स्कूली बच्चों को इस बात से अवगत कराने की जरूरत है कि भारत ने अपनी आजादी कैसे हासिल की 200 वर्षों तक चले लंबे संघर्ष के बाद जब उन्हें एहसास होगा कि हमारी आजादी कितने ‘कठोन परिश्रम’ से हासिल की गई है, तभी वे उस स्वतंत्र राष्ट्र का सम्मान करना सीखेंगे जिसमें वे पैदा हुए हैं. स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह के समय में देश की आजादी के प्रति सम्मान पैदा करेगा. बच्चों की पीढ़ी यह सुनिश्चित करती है कि वे न केवल अपनी बल्कि उससे भी महत्वपूर्ण रूप से अपनी मातृभूमि और अपने आस-पास के लोगों की स्वतंत्रता को प्यार करें, महत्व दें और उसका सम्मान करें. जब देश का भविष्य अपने अतीत के गौरव पर गर्व करता है, तो हम इस बात को लेकर आश्वस्त हो सकते हैं देश सुरक्षित हाथों में है! यह संदेश रेव्ह फादर शिजू जोसेफ (प्रिंसिपल वियानी विद्या मंदिर, घुग्घुस) ने औपचारिक भाषण देते हुए दिया.
वियान्ने विद्या मंदिर, घुग्घुस ने 78 वां स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह और देशभक्तिपूर्ण उत्साह के साथ मनाया. वियान्नी विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य फादर शिजू जोसेफ ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और सलामी दी. कार्यक्रम की शुरुआत में स्कूल बैंड ने मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की अगवानी की. इसके बाद स्कूल बैंड के साथ चारों हउस के विद्यार्थियों ने शानदार मार्च पास्ट किया. कार्यक्रम के दौरान छात्रों में देशभक्ति जगाने के लिए देशभक्ति नृत्य, पिरामिड और भाषण जैसी विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं.
मास्टर अभिषेक हरिदास परक्कन्नी ने अपने संबोधन में प्रिंसिपल और प्रबंधन की ओर से उपस्थित सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया और सभी को स्वतंत्रता संग्राम और उस दिन के महत्व की याद दिलाई.
कक्षा पहली के मास्टर स्वराज शरद बंसोड़ ने दर्शकों को अपने संबोधन में सभी भारतीयों के लिए बेहद गर्व और खुशी व्यक्त की. उन्होंने आगे कहा , इस दिन हम भारतीय अपने नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों का जश्न मनाते हैं जिन्होंने हमें आजादी, शांति और खुशी दिलाने के लिए देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया.
आठवीं कक्षा की मृण्मयी मोरारजी पुस्नाके ने सभा को अपने मराठी संबोधन में कहा कि यह हमारे लिए अपने स्वतंत्रता सेनानियों की बहादुरी और दृढ़ संकल्प पर विचार करने का समय है, जिन्होंने हमारे लिए अंग्रेजों के चंगुल से बाहर निकलना संभव बनाया.
आमिना रिजवानुल्लाह ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और कार्य का संचालन किया. इस कार्यक्रम को देखने के लिए बड़ी संख्या में छात्र, शिक्षक और अभिभावक प्रमुख रूप से मौजूद थे. कार्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षण एवं गैर शिक्षण स्टाफ ने कड़ी मेहनत की.




