चंद्रपुर/यवतमाल : 30 नवंबर 2023 को “वर्तमान वार्ता” में नकोडा-मुंगोली मार्ग पर, वेकोली ने अपने परिवहन की सुविधा के लिए वर्धा नदी में 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी डालकर एक रैप्टर बनाया था. सूत्रों द्वारा जिसकी लागत अनुमानित 20 लाख रुपए बताया जा रहा है. वह रैप्टर अब दोबारा निर्माण के दौरान 2 दिसंबर 2023 को नदी के तल में डूब गया. जो 30 नवंबर 2023 को “वर्तमान वार्ता” में प्रकाशित खबर सच हो गया है.
सूत्रों के अनुसार जुलाई 2023 से कुछ महीने पहले रेतीघाट के एक मालिक को रैप्टर बनने के बाद नुकसान झेलना पड़ा था(अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी, 20 लाख रुपए). उस रैप्टर की वजह से वहां कुछ हद तक पानी भर गया था जिसके कारण लीलाव घाट में पानी आ गई थी और जिसके कारण उसे नुकसान भी उठाना पड़ा था. लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बाद रैप्टर बारिश और बाढ़ आने से बनाया गया. इस नुकसान का मुआवज़ा कौन देगा? अभी फिर से दोबारा अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी, लाखों रुपए से भी अधिक का काम शुरू है. पहले की अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी + अभी की अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी, कुल मिलाकर 50 हजार क्यूबिक मीटर मट्टी को नदी के तल में बहाया जा रहा है?
कलेक्टर, दोनों जिला राजस्व विभाग, जल प्रदाय विभाग, एमपीसीबी अधिकारी, वेकोलि वणी क्षेत्र के अधिकारी या अन्य लोगों की मिलीबगत से ये सारे काम किया जा रहा है. जिस से भविष्य में आसपास के गांववालों को बाढ़ से जुंजना पढ़ सकता है. जोकि न्याय की दृष्टि से तर्क संगत नहीं है?