चंद्रपुर/यवतमाल: विदर्भ के चंद्रपुर और यवतमाल जिले के क्षेत्रों में चोरों और अवैध टेकेदारों का बोलबाला. क्षेत्र में अवैध रेत तस्करी के चलते बारूद विस्फोट से निकलने वाली मिट्टी को नदी में डालकर राफ्टर बनाने का काम शुरू हो गया है. जिले के राजस्व, जलदाय विभाग, एमपीसीबी और कलेक्टर दोनों की चुप्पी से इन लोगों का मनोबल बड़ा हुआ है.
सूत्रों के अनुसार नकोडा-मुंगोली मार्ग पर, वेकोली ने अपने परिवहन की सुविधा के लिए वर्धा नदी में 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी डालकर एक रैप्टर बनाया था. सूत्रों द्वारा जिसकी लागत अनुमानित 20 लाख रुपए बताया जा रहा है. 21/22 जुलाई 2023 की शाम को उस पुल को बंद कर दिया गया क्योंकि पुल के ऊपर से नदी बह रही थी. पुल का लोक निर्माण विभाग से निरीक्षण कराया जाना जरूरी है ताकि दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सके. लेकिन इलाके के उद्योगों ने अपने स्वार्थ के लिए नदी पर नया पुल बनाने के बजाय लाखों रुपये खर्च कर टेंपरवरी रैप्टर का काम शुरू कर दिया. जिसके लिए वो लोग सभी नियमों को दरकिनार करते हुए काम कर रहे हैं. फिर भी सरकारी कर्मचारी कुंभकर्ण की नींद में नजर आ रहे हैं.
सूत्रों के अनुसार जुलाई 2023 से कुछ महीने पहले रेतीघाट के एक मालिक को रैप्टर बनने के बाद नुकसान झेलना पड़ा था(अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी, 20 लाख रुपए). उस रैप्टर की वजह से वहां कुछ हद तक पानी भर गया था जिसके कारण लीलाव घाट में पानी आ गई थी और जिसके कारण उसे नुकसान भी उठाना पड़ा था. लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बाद रैप्टर बारिश और बाढ़ आने से बनाया गया. इस नुकसान का मुआवज़ा कौन देगा? अभी फिर से दोबारा अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी, लाखों रुपए से भी अधिक का काम शुरू है. पहले की अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी + अभी की अनुमानित 25 हज़ार क्यूबिक मीटर मट्टी, कुल मिलाकर 50 हजार क्यूबिक मीटर मट्टी को नदी के तल में बहाया जा रहा है?

कलेक्टर, दोनों जिला राजस्व विभाग, जल प्रदाय विभाग, एमपीसीबी अधिकारी, वेकोलि वणी क्षेत्र के अधिकारी या अन्य लोगों की मिलीबगत से ये सारे काम किया जा रहा है. जिस से भविष्य में आसपास के गांववालों को बाढ़ से जुंजना पढ़ सकता है. जोकि न्याय की दृष्टि से तर्क संगत नहीं है?




