चंद्रपुर : शिक्षा का अधिकार संविधान द्वारा दिया गया है. यदि देश का भविष्य उज्ज्वल बनाना है तो सभी को शिक्षा मिलनी चाहिए. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, मध्यम वर्ग और गरीब लोग स्थानीय सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करते हैं. खास तौर पर इसके लिए अलग मंत्रालय और बजट का प्रावधान भी बजट में किया गया है. लेकिन अब यह शिक्षा दानदाताओं पर निर्भर रहेगी. दूसरी ओर, सामान्य परिवारों के युवा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ट्यूशन क्लास लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन अब उन सीटों का काम भी निजी कंपनी से कराया जाएगा. ये दोनों सर्कुलर युवाओं को गुलामी की गर्त में ले जा रहे हैं. इसलिए विधायक प्रतिभा धानोरकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इन दोनों परिपत्रों को तुरंत रद्द करने का अनुरोध किया है.
विधायक प्रतिभा धानोरकर ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में दो सर्कुलर जारी किये हैं. परिपत्रों में से एक स्थानीय सरकारी स्कूलों में दाता शिक्षा की अनुमति देना है. दूसरा सर्कुलर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निजी कंपनियों को ट्यूशन क्लास की इजाजत देने के लिए है. इन दोनों सर्कुलर से छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. साथ ही छात्रों पर निजी कंपनियों का दबदबा हो जाएगा.
विधायक धानोरकर ने कहा कि स्थानीय सरकारी स्कूलों में दानदाताओं से शिक्षा की अनुमति देने वाले परिपत्र से छात्रों पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है. इस सर्कुलर के कारण गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा. साथ ही निजी कंपनियों को स्थानीय सरकारी स्कूलों पर हावी होने का मौका मिलेगा.
निजी कंपनियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ट्यूशन कक्षाएं प्रदान करने की अनुमति देने वाला परिपत्र भी छात्रों पर वित्तीय बोझ बढ़ाता है. इस सर्कुलर के कारण सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं पास करना मुश्किल हो जाएगा. साथ ही निजी कंपनियां छात्रों से मनमानी फीस वसूलेंगी.
विधायक धानोरकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इन दोनों परिपत्रों को तुरंत रद्द करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि ये सर्कुलर छात्रों का भविष्य बर्बाद करने वाले हैं. इसलिए इस सर्कुलर को रद्द कर छात्रों को राहत देने की मांग की गई है.