रविवार शाम महिला पर हमले की घटना ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए गंभीर सवाल; बिना सत्यापन रह रहे बाहरी मजदूरों से बढ़ रहा असुरक्षा का खतरा।
घुग्घुस (चंद्रपुर) — रविवार शाम हुई एक घटना ने घुग्घुस की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वार्ड क्रमांक-6, कृष्ण नगर में साप्ताहिक बाजार से लौट रही एक महिला पर अज्ञात युवक ने हमला किया। यह घटना सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि शहर में फैली एक गहरी समस्या की परतें खोलती है — प्रवासी मजदूरों का बिना पुलिस सत्यापन रहना।
महिला पर हमला और शहर में भय का माहौल
रविवार शाम करीब 6:30 बजे महिला राजीव रतन चौक से महतारदेवी मार्ग की ओर जा रही थी। अंधेरे के कारण उसने मोबाइल की टॉर्च जलाकर रास्ता तय करना शुरू किया, तभी एक अज्ञात युवक ने उसका पीछा किया और पीछे से पकड़ लिया।
महिला के शोर मचाने पर आरोपी ने रूमाल से उसका मुंह बंद करने की कोशिश की। आसपास के लोग इकट्ठा हुए, तब तक आरोपी महिला का मोबाइल लेकर पास की एक बिल्डिंग में भाग गया।
सूचना पर घुग्घुस पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और गवाहों के साथ पास के लॉज में तलाशी ली। संदिग्ध युवक को पहचानकर पुलिस ने कुछ अन्य लोगों के साथ पूछताछ के लिए थाने ले जाया, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
MIRDC क्षेत्र में सुरक्षा की कमी
घटना स्थल कृष्ण नगर क्षेत्र MIRDC के निर्माणाधीन इलाके से जुड़ा है, जहां हमेशा अंधेरा और सन्नाटा रहता है।
स्थानीय नागरिकों के अनुसार, “यह क्षेत्र लंबे समय से असुरक्षित है। न स्ट्रीट लाइटें हैं, न ही पुलिस की गश्त नियमित रूप से होती है।”
सोमवार को जब घटना की जानकारी अन्य लोगों को हुई, तो इलाके में भय और असंतोष फैल गया।
घुग्घुस की गहराती समस्या — बिना वेरिफिकेशन मजदूर
लॉयड्स मेटल, एसीसी सीमेंट जैसी बड़ी कंपनियों का केंद्र घुग्घुस, पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आए सैकड़ों मजदूरों का ठिकाना बन चुका है।
लेकिन इनमें से अधिकांश का स्थानीय पुलिस से कोई वेरिफिकेशन नहीं हुआ है।
“शहर में सैकड़ों लोग रह रहे हैं जिनकी पहचान तक पुलिस के पास नहीं है। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुरक्षा खतरे की खुली चेतावनी है।”
— स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता
लॉज मालिक, ठेकेदार और मकान मालिक अक्सर मजदूरों या किरायेदारों की वास्तविक जानकारी छिपाते हैं। इससे न केवल श्रम कानूनों का उल्लंघन होता है, बल्कि अपराध की स्थिति में पुलिस जांच भी कठिन हो जाती है।
प्रशासन की जिम्मेदारी और संभावित खतरे
बिना वेरिफिकेशन बाहरी लोगों की बढ़ती आवाजाही, अस्थायी लॉजों में संदिग्ध गतिविधियाँ, अंधेरे क्षेत्रों में महिला सुरक्षा की कमजोरी, पुलिस बल की सीमित संख्या और संसाधनों की कमी.
यदि यह स्थिति जारी रही, तो भविष्य में चोरी, लूट, तस्करी, दुष्कर्म या हिंसक अपराधों की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
अब जरूरी है निर्णायक कार्रवाई
स्थानीय नागरिकों और सुरक्षा विशेषज्ञों की राय में अब पुलिस और प्रशासन को नीचे दिए गए कदम तत्काल उठाने चाहिए:
ठेकेदारों व लॉज मालिकों को नोटिस जारी करें — बिना वेरिफिकेशन मजदूर रखने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
CCTV और स्ट्रीट लाइट नेटवर्क — MIRDC और अन्य अंधेरे क्षेत्रों में तुरंत व्यवस्था की जाए।
महिला सुरक्षा गश्त (Patrolling Squad) — खासकर शाम के समय सक्रिय हो।
पुलिस वेरिफिकेशन अभियान — प्रत्येक वार्ड में घर-घर जांच शुरू हो।
नागरिक भी निभाएं जिम्मेदारी
सुरक्षा केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं। हर नागरिक को चाहिए कि अपने मोहल्ले या इमारत में रहने वाले नए लोगों की जानकारी स्थानीय थाने में दे। यह “सूचना देना” नहीं, बल्कि “सुरक्षा बनाना” है।
घुग्घुस की यह घटना सिर्फ एक महिला पर हमला नहीं — यह उस चेतावनी की घंटी है जो बताती है कि शहर तेजी से असुरक्षा की ओर बढ़ रहा है। अगर अब भी पुलिस, प्रशासन और समाज ने गंभीरता नहीं दिखाई, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएँ अपवाद नहीं, बल्कि “नियम” बन जाएंगी।





