भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गाथा उन अनगिनत वीरों से भरी पड़ी है जिन्होंने अपने जीवन को देश की आज़ादी के लिए समर्पित कर दिया। इन्हीं वीर सपूतों में एक नाम है तारकनाथ दास का, जो न केवल एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय विचारक, लेखक और भारत की आज़ादी के लिए विदेशों में आवाज़ बुलंद करने वाले अग्रणी नेताओं में शामिल थे।
तारकनाथ दास का जन्म 15 जून 1884 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में हुआ था। बचपन से ही उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत थी। उन्होंने युवावस्था में ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ और विदेश प्रवास
1905 के बंग-भंग आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी शुरू की। ब्रिटिश सरकार की निगाहों से बचने के लिए तारकनाथ दास भारत छोड़कर अमेरिका चले गए। वहाँ उन्होंने भारतीय छात्रों को संगठित कर ‘इंडिया एसोसिएशन ऑफ़ अमेरिका’ की स्थापना की।
उन्होंने ‘फ्री हिन्दुस्तान’ नामक पत्रिका शुरू की, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्यवाद की नीतियों की आलोचना और भारत की स्वतंत्रता की आवश्यकता को जोरदार ढंग से प्रस्तुत किया गया। यह पत्रिका अंग्रेज़ी में होती थी और इसका प्रसार अमेरिका, कनाडा, जापान और इंग्लैंड तक था।
ग़दर आंदोलन और भूमिका
तारकनाथ दास ग़दर आंदोलन से भी जुड़े थे, जिसका उद्देश्य विदेशी धरती से भारत में क्रांति लाना था। उन्होंने अमेरिका और जापान में रहकर भारतीय क्रांतिकारियों को संगठित किया। वे ग़दर पार्टी से जुड़े प्रमुख नेताओं में से एक थे। उनके सहयोगियों में लाला हरदयाल, करतार सिंह सराभा, और पंडित रामचंद्र जैसे महान क्रांतिकारी शामिल थे।
शिक्षाविद् और लेखक
क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ-साथ तारकनाथ दास एक मेधावी शिक्षाविद् भी थे। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्यापन कार्य किया। वे अंतरराष्ट्रीय राजनीति, भारत-चीन संबंध और उपनिवेशवाद पर गहन लेखन कार्य करते रहे।
स्वतंत्रता के बाद का जीवन
भारत की स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने भारतीय समाज के उत्थान और वैश्विक शांति के लिए काम किया। उन्होंने ‘इंडिया लीग ऑफ़ अमेरिका’ की स्थापना की, जो भारतीय प्रवासियों और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक पुल बनाने का कार्य करती थी।
निधन
तारकनाथ दास का निधन 22 दिसंबर 1958 को हुआ, लेकिन उनका जीवन और योगदान भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है।
तारकनाथ दास उन क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने देश से दूर रहकर भी भारत माता की सेवा की। उन्होंने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। आज उनके जन्मदिवस पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनके योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।