चंद्रपुर: “अंमली पदार्थों का सेवन मतलब मौत को निमंत्रण देना है”, यह सख्त संदेश जिल्हाधिकारी विनय गौडा जी.सी. ने नार्को-कोऑर्डिनेशन समिती की जिल्हास्तरीय बैठक में दिया। उन्होंने संबंधित सभी विभागों को निर्देश दिए कि जिले में नशीले पदार्थों की तस्करी, भंडारण और बिक्री पर प्रभावी रोक लगाई जाए, साथ ही युवाओं में इसके दुष्परिणामों को लेकर जागरूकता फैलाई जाए।
इस बैठक में पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन, जिला शल्य चिकित्सक डॉ. महादेव चिंचोले, अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी मीना साळुंके, राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के अधीक्षक नितीन धार्मिक, केंद्रीय जीएसटी विभाग के विजयकुमार, पुलिस निरीक्षक अमोल काचोरे और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
जिल्हाधिकारी ने खासतौर पर स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों के बीच ड्रग्स, शराब और तंबाकू सेवन पर नजर रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को मैराथन रैली, निबंध, वाद-विवाद स्पर्धा, पथनाट्य आदि माध्यमों से जनजागृति अभियान चलाना चाहिए। इसके अलावा पुलिस विभाग की सहायता से कार्यशालाएं आयोजित की जाएं और पूरे साल भर के लिए एक नियोजन तैयार किया जाए।
अन्न व औषध प्रशासन विभाग को आदेश दिया गया कि जिले के रासायनिक कारखानों में किसी भी प्रकार का नशीला पदार्थ न बने, इसकी विशेष निगरानी रखी जाए। मेडिकल स्टोर्स पर छापे मारकर प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री हो रही है या नहीं, इसकी भी जांच की जाए।
जिल्हाधिकारी ने आगे कहा कि अंतरराज्यीय सीमाओं से सटी कृषि भूमि में अफीम (खसखस) या गांजे की खेती न हो, इसके लिए किसानों को जागरूक किया जाए और ग्राम स्तर पर कृषि अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाए। डाक द्वारा आने वाले पार्सल की निगरानी, निजी वाहनों से आने वाले कोरियर और एमआयडीसी क्षेत्र के कारखानों की संयुक्त जांच करने के भी निर्देश दिए गए।
हालांकि, इन सभी निर्देशों के बावजूद स्थानीय स्तर पर अवैध शराब की बिक्री, गुटखा, खर्रा जैसे नशीले पदार्थ खुलेआम बिक रहे हैं। यह देखना बाकी है कि पुलिस और संबंधित अधिकारी वास्तव में इस पर ठोस कार्रवाई करेंगे या नहीं। जनता की नजरें अब अधिकारियों पर टिकी हैं, क्योंकि प्रतिबंध के बावजूद इन पदार्थों की खुलेआम बिक्री प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर रही है।