हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग के एक प्रमुख स्तंभ, अभिनेता मनोज कुमार का आज तड़के मुंबई के एक निजी अस्पताल में 3:30 बजे निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय फिल्म जगत और उनके असंख्य प्रशंसकों के बीच गहरा शोक व्याप्त है। उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने जानकारी दी कि वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे और शांतिपूर्वक इस दुनिया को अलविदा कह गए।
सिनेमा जगत की एक राष्ट्रवादी आवाज
मनोज कुमार को हिंदी फिल्मों में ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने ‘पूरब और पश्चिम’, ‘उपकार’, ‘क्रांति’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्मों के माध्यम से राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सरोकारों को अभिव्यक्ति दी। उनके अभिनय में गंभीरता, संवेदनशीलता और देशभक्ति की भावना झलकती थी, जिसने उन्हें आमजन से जोड़ दिया।
एक युग का अंत
मनोज कुमार केवल अभिनेता नहीं, बल्कि लेखक और निर्देशक भी थे। उन्होंने जिन विषयों को अपनी फिल्मों में उठाया, वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनका जाना न केवल एक कलाकार के रूप में नुकसान है, बल्कि यह एक पूरे युग की समाप्ति जैसा है, जिसने सिनेमा को समाज से जोड़ा।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
परिवार की ओर से जारी बयान में उल्लेख किया गया कि उन्होंने शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली। यह उनकी संतुलित और गरिमामयी जीवनशैली की झलक देता है। उनका अंतिम संस्कार कल किया जाएगा, और यह दिन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक भावुक और ऐतिहासिक क्षण के रूप में दर्ज हो जाएगा।
मनोज कुमार का निधन भारतीय कला, संस्कृति और देशभक्ति से भरे सिनेमा के एक अधूरे अध्याय की तरह है। उनके विचार, अभिनय और फिल्मों के माध्यम से वे सदा जीवित रहेंगे। राष्ट्र और सिनेमा जगत उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।