जब तक सरकार, प्रशासन, उद्योग, और जनता मिलकर प्रयास नहीं करेंगे, तब तक स्थायी समाधान संभव नहीं है। पारदर्शिता, भागीदारी, और तकनीकी उपायों का एकीकृत उपयोग ही प्रदूषण से मुक्ति का मार्ग है।
मुख्य कारण:
संवेदनशीलता की कमी: स्थानीय प्रशासन, उद्योगपति, और आम जनता में पर्यावरणीय संवेदनशीलता की कमी है।
निगरानी में कमी: प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों, फैक्ट्रियों और कचरा डंपिंग पर निगरानी प्रणाली सशक्त नहीं है।
विभागों के बीच समन्वय की कमी: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, परिवहन विभाग, और पुलिस आपस में समन्वय नहीं करते।
राजनीतिक और आर्थिक दबाव: कई बार बड़े उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने में राजनीतिक या आर्थिक दबाव आड़े आता है।
किन उद्योगों से हो रहा है प्रदूषण?
आयरन और सीमेंट फैक्ट्रियां: भारी धूल, पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5, PM10) उत्सर्जित करती हैं।
कोयला ट्रांसपोर्टिंग और भंडारण: कोयले की उड़ती धूल सांस की बीमारियों का कारण बनती है।
कचरा और डंपिंग ग्राउंड: दुर्गंध, गैस उत्सर्जन, और भूजल प्रदूषण का कारण बनते हैं।
समाधान क्या हो सकते हैं?
तकनीकी और संरचनात्मक उपाय:
इंडस्ट्रीज़ के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की अनिवार्यता। कोयला और सीमेंट के ट्रकों को कवर करना अनिवार्य बनाना। कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण: बायो-माइनिंग, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट। ग्रीन बेल्ट निर्माण: हर औद्योगिक क्षेत्र के चारों ओर पेड़ों की घनी पट्टी।
नीतिगत और प्रशासनिक उपाय:
सक्रिय प्रदूषण निगरानी और समय-समय पर रिपोर्टिंग। पब्लिक हेल्थ रिस्क असेसमेंट। स्थानीय नागरिक समितियों की भागीदारी। “पोल्यूशन हॉटस्पॉट” चिह्नित कर विशेष निगरानी।
वृक्ष टैक्स और उसकी पारदर्शिता:
नगर निगम या नगर पालिकाएं वृक्ष कर तो लेती हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता कि किन क्षेत्रों में कितने वृक्ष लगाए गए, और वो किस प्रजाति के हैं।
वायु शुद्धि के लिए कारगर वृक्ष जैसे:
नीम (एंटीबैक्टीरियल और वायु शुद्धिक), पीपल (रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है), गुलमोहर, कचनार, अशोक जैसे सजावटी लेकिन प्रभावी वृक्ष।
ट्रांसपेरेंसी ज़रूरी है: वृक्ष टैक्स से होने वाले कार्यों की सार्वजनिक जानकारी होनी चाहिए।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग की भूमिका:
नियमों का पालन करवाना (जैसे NGT और CPCB के मानदंड)। फैक्ट्रियों की समय-समय पर जांच। प्रदूषण स्तर की सार्वजनिक रिपोर्ट जारी करना। लाइसेंस रद्द करने या जुर्माना लगाने की शक्ति।
पुलिस और जनता की भूमिका:
पुलिस:
ट्रकों की जाँच करना कि क्या वे नियमों का पालन कर रहे हैं। प्रदूषण से संबंधित अपराधों पर कार्रवाई। अवैध डंपिंग को रोकना।
जनता:
शिकायत दर्ज कराना (प्रदूषण नियंत्रण हेल्पलाइन या ऐप्स पर)। स्थानीय स्तर पर वृक्षारोपण और निगरानी। पर्यावरणीय जन-जागरूकता अभियान में भागीदारी।