दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हालिया बयान को लेकर देश की सियासत में गर्माहट आ गई है। वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ के बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है। सिब्बल ने कहा, “जगदीप धनखड़ का बयान देखकर मुझे दुख और आश्चर्य हुआ।”
उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधानिक दायरे पर जोर देते हुए कहा, “आज के समय में अगर पूरे देश में किसी संस्था पर भरोसा किया जाता है, तो वह है न्यायपालिका। जब सरकार के कुछ लोगों को अदालत के फैसले पसंद नहीं आते, तो वे न्यायपालिका पर सीमाएं लांघने का आरोप लगाने लगते हैं।”
सिब्बल ने अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ‘पूर्ण न्याय’ देने का अधिकार संविधान ने ही दिया है। साथ ही, उन्होंने उपराष्ट्रपति को यह भी याद दिलाया कि “राष्ट्रपति केवल नाममात्र का मुखिया होता है और वह कैबिनेट की सलाह पर काम करता है। उनके पास कोई निजी अधिकार नहीं होता।”
कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति को सलाह देते हुए कहा कि “उन्हें संविधान की मूल भावना को समझना चाहिए और न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखना चाहिए।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में न्यायपालिका और कार्यपालिका के संबंधों को लेकर बहस तेज हो रही है।