A brave farmer had a terrifying face-off with a tiger cub in his field. In a heart-pounding struggle, he managed to escape death by a whisker. Read the full story of this incredible survival!
चंद्रपुर में जंगल का खौफ – खेत में घुसा बाघ का शावक, किसान पर जानलेवा हमला
चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी तालुका में रविवार सुबह दिल दहला देने वाली घटना घटी. 42 वर्षीय किसान गोवर्धन डांगे पर एक बाघ के शावक ने अचानक हमला कर दिया. लेकिन बिना किसी हथियार के, सिर्फ अपने साहस के बल पर किसान ने शावक से भिड़कर अपनी जान बचाई!
खेत में घुसते ही शावक ने किया हमला!
नांदगांव जानी गांव के पास गोवर्धन डांगे सुबह करीब 7:30 बजे अपने खेत में काम कर रहे थे. खेत के चारों ओर कोई घना जंगल नहीं था, लेकिन अचानक एक बाघ का शावक खेत में आ धमका. किसान कुछ समझ पाते, इससे पहले ही वह उन पर झपट पड़ा!
बिना किसी चेतावनी के शावक ने पंजों और दांतों से किसान पर हमला बोल दिया. अचानक हुए इस हमले से डांगे घबरा गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. खाली हाथ होने के बावजूद वे शावक से भिड़ गए और अपने बचाव में जबरदस्त संघर्ष किया.
मौत से मुठभेड़ – किसान ने हार नहीं मानी!
करीब 5 मिनट तक किसान और बाघ के शावक के बीच संघर्ष चला. शावक बार-बार झपट रहा था, लेकिन डांगे ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने अपने हाथ और पैरों का इस्तेमाल कर शावक को पीछे धकेला. आखिरकार, किसान की बहादुरी के आगे शावक हार गया और जंगल की ओर भाग निकला!
गंभीर रूप से घायल किसान – कुएं में छिपकर बचाई जान
इस संघर्ष में किसान गंभीर रूप से घायल हो गए. उनके शरीर पर कई जगह गहरे पंजों के घाव हो गए. खून से लथपथ हालत में वे पास के कुएं में उतर गए और वहीं से अपने बेटे को फोन कर मदद मांगी.
गांव में हड़कंप – अस्पताल में भर्ती कराया गया किसान
घटना की खबर मिलते ही गांव के सैकड़ों लोग खेत की ओर दौड़ पड़े. किसान को खून से लथपथ देख गांव में दहशत फैल गई. तुरंत उन्हें ब्रह्मपुरी ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने कहा कि उनकी हालत स्थिर है, लेकिन वे अभी भी सदमे में हैं.
बाघों का बढ़ता आतंक – खतरे में ग्रामीणों की जिंदगी!
यह पहली बार नहीं है जब चंद्रपुर में बाघों का आतंक देखने को मिला है. ताड़ोबा अभयारण्य से निकलकर बाघ और उनके शावक अब खेतों और गांवों तक पहुंच रहे हैं.
ग्रामीणों ने वन विभाग से सख्त कदम उठाने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो किसानों की जिंदगी हर दिन दांव पर लगी रहेगी!
“अगर मैंने हिम्मत नहीं दिखाई होती, तो आज मेरी लाश खेत में पड़ी होती!”
घायल किसान गोवर्धन डांगे ने कहा,
“बाघ बड़ा हो या छोटा, वह खतरनाक ही होता है. मैंने हिम्मत नहीं की होती, तो आज मैं जिंदा नहीं होता!”
प्रशासन पर उठे सवाल – क्या किसानों को मिलेगा सुरक्षा का भरोसा?
अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन इस घटना के बाद क्या कदम उठाएगा? क्या किसानों और ग्रामीणों को बाघों के आतंक से राहत मिलेगी, या फिर ऐसी घटनाएं लगातार होती रहेंगी?
क्या वन विभाग जागेगा, या फिर अगला शिकार कोई और होगा?