Response of tribals against cement company, protest by stopping transport
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित माणिकगढ़ सीमेंट कंपनी की कुसुंबी खदान में आदिवासी कोलाम समाज के लोगों ने अपनी जमीन के अधिकार की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. पिछले चार महीनों से आदिवासी समुदाय के लोग कंपनी के पास धरना देकर अपनी जमीन की माप-जोख और कब्जे की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
आंदोलनकारियों का आरोप है कि राजस्व प्रशासन की लापरवाही के कारण आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है. तीन महीने पहले भीमा पगु मलावी और चुन्नू मुक्का आत्राम की जमीन की माप-जोख की गई थी, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि उनकी जमीन खदान क्षेत्र के भीतर आती है. इसके बावजूद राजस्व विभाग ने उन्हें जमीन पर कब्जा दिलाने की कोई कार्रवाई नहीं की.
परिवहन रोका, पुलिस से हुई झड़प
प्रशासन की अनदेखी से नाराज होकर आदिवासी समुदाय ने विरोध प्रदर्शन को और उग्र कर दिया. उन्होंने सीमेंट खदान की परिवहन सेवा रोक दी और खदान के अंदर जाकर काम ठप कर दिया. इस दौरान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई. हालांकि, पुलिस के हस्तक्षेप से कोई अनहोनी नहीं हुई, लेकिन आंदोलनकारियों ने 27 मार्च तक अपनी मांगों को पूरा करने की चेतावनी दी है.
प्रदूषण और भूमि हड़पने का आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सीमेंट कंपनी की गतिविधियों से प्रदूषण फैल रहा है, जिससे किसानों की उपज प्रभावित हो रही है. गोपालपुर, थुट्रा और चांदूर गांवों के किसानों ने बताया कि सीमेंट कारखाने की धूल के कारण उनकी फसलें खराब हो रही हैं. कपास, सोयाबीन, तूर और मिर्च जैसी फसलें प्रभावित हो रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों ने मांग की है कि 30-35 प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 52,200 रुपये का मुआवजा दिया जाए.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए राजुरा के उप-विभागीय अधिकारी से सात दिनों में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन एक महीना बीत जाने के बावजूद प्रशासन ने रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की.
27 मार्च तक हल नहीं निकला तो होगा बड़ा आंदोलन
आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर 27 मार्च तक उनकी मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया, तो 28 मार्च को वे और बड़ा आंदोलन करेंगे. जन सत्याग्रह संघ के नेता आबिद अली ने कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो सीमेंट कंपनी की परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से ठप कर दिया जाएगा.
प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग
प्रदर्शनकारी आदिवासी समुदाय और किसान संगठनों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि वे तुरंत हस्तक्षेप करें और आदिवासियों को उनकी जमीन का हक दिलाएं. साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि सीमेंट कंपनी की वजह से किसानों की फसलें प्रभावित न हों.
यह विरोध प्रदर्शन लगातार तेज हो रहा है और अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो यह बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है.