कैसेट का दौर सच में एक अलग ही दुनिया थी. मेरी पसंदीदा कैसेट में से एक “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे” की थी, जिसके गाने बार-बार सुनने का मन करता था. उस समय एक अच्छी म्यूजिक कैसेट खरीदना किसी छोटे सपने को पूरा करने जैसा लगता था. पैसे जोड़कर अपनी पसंदीदा फिल्म या एलबम की कैसेट लेना, फिर उसे सहेजकर रखना, यह किसी ख़ज़ाने से कम नहीं था.
कैसेट युग का संघर्ष और उसकी ख़ूबसूरती
1. पैसे बचाने का जुनून:
एक कैसेट की कीमत इतनी होती थी कि आम जेबखर्च में उसे खरीदना आसान नहीं था. कई लोग पैसे बचाकर या किसी ख़ास मौके पर ही अपनी मनपसंद कैसेट खरीद पाते थे.
2. रिकॉर्डिंग की जुगत:
जिनके पास पैसे नहीं होते थे, वे रिकॉर्डिंग शॉप्स से सस्ते में मिक्स गाने वाली कैसेट बनवाते थे. कुछ लोग रेडियो पर आने वाले गानों को टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लेते थे, जिसमें कई बार अनाउंसर की आवाज़ बीच में आ जाती थी.
3. कैसेट की देखभाल:
कैसेट टेप बहुत नाज़ुक होती थी. अगर टेप फंस जाए, तो पेंसिल से उसे धीरे-धीरे घुमाकर ठीक किया जाता था. कभी-कभी टेप कट जाती, तो उसे पारदर्शी सेलो टेप से जोड़कर काम चलाया जाता था. यह एक आम नज़ारा था.
4. गाने सुनने का धैर्य:
उस समय किसी भी गाने को बार-बार सुनने के लिए रिवाइंड या फास्ट-फॉरवर्ड करना पड़ता था. कभी-कभी पूरा टेप रिवाइंड करने में मिनटों लग जाते थे, और अगर गलती से ज्यादा आगे-पीछे हो गया, तो फिर से एडजस्ट करना पड़ता था.
5. कलेक्शन का जुनून:
कुछ लोगों के पास ढेरों कैसेट्स का कलेक्शन होता था, जिन्हें वे अपनी अलमारी या ड्रॉअर में बड़ी सावधानी से रखते थे. इनमें से कुछ आज भी उन यादों को संजोकर रखे हुए हैं, हालांकि अब कैसेट प्लेयर मिलना मुश्किल हो गया है.
आज के समय में कैसेट कलेक्शन
आज बहुत ही कम लोगों के पास कैसेट्स बची हैं. डिजिटल म्यूजिक और स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ ने कैसेट युग को लगभग खत्म कर दिया है. लेकिन पुराने संगीत प्रेमी और कलेक्टर आज भी इन्हें संजोकर रखते हैं. कुछ लोगों के लिए यह सिर्फ संगीत का माध्यम नहीं था, बल्कि एक भावना थी, एक ज़माना था, जो अब सिर्फ यादों में रह गया है.
कैसेट का दौर धैर्य, मेहनत और लगाव का दौर था. तब गाने सुनने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, लेकिन उसी संघर्ष में एक अलग ही आनंद था. वह दौर आज के “एक क्लिक पर सबकुछ” वाली दुनिया से अलग था, जहां गानों की कद्र ज्यादा थी और हर धुन में एक याद जुड़ी होती थी.