प्रणयकुमार बंडी
चंद्रपुर ज़िले का घुग्घुस शहर इन दिनों अवैध गतिविधियों का गढ़ बनता जा रहा है। शहर में अवैध शराब व्यवसाय, भंगार धंधा, कोयला कारोबार, कंपनियों में लेबर सप्लाई, ओबी तस्करी, अवैध कंस्ट्रक्शन और व्यापारियों से वसूली जैसे काम खुलेआम चल रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी गतिविधियों की जानकारी न केवल आम जनता को है, बल्कि समय-समय पर नागरिकों ने संबंधित विभागों को पत्र लिखकर और आंदोलन कर प्रशासन को भी अवगत कराया है। इसके बावजूद, कोई ठोस कार्रवाई अब तक सामने नहीं आई है।
विभागों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि पुलिस विभाग, बांधकाम विभाग, लेबर विभाग, एक्साइज विभाग, महसूल विभाग, WCL, PWD और नगर परिषद कार्यालय जैसे जिम्मेदार संस्थान इन मामलों में आंखें मूंदकर बैठे हैं।
इनकी चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—
क्या इन अवैध कारोबारों के पीछे कोई साठगांठ है? क्या अधिकारी केवल कागज़ी कार्रवाई कर मामले को टाल रहे हैं? क्या विभाग किसी बड़ी अनहोनी का इंतज़ार कर रहे हैं?
आंदोलन और शिकायतें बेअसर
नागरिकों का कहना है कि उन्होंने कई बार आंदोलन किए, ज्ञापन सौंपे और शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन उसका नतीजा सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित रहा। अधिकारी औपचारिकता निभाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं, परंतु अवैध कारोबार करने वाले लोग बेख़ौफ़ होकर अपनी गतिविधियां जारी रखते हैं।
जनता में बढ़ रहा असंतोष
इन सबके चलते घुग्घुस शहर की जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है। लोगों को लगने लगा है कि अधिकारी और ठेकेदारों के बीच कोई अंदरूनी समझौता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि प्रशासन आखिर कब तक कंपनियों और ठेकेदारों की ‘जी-हुजूरी’ करता रहेगा और जनता की समस्याओं को अनसुना करेगा।
घुग्घुस में अवैध कारोबारों पर प्रशासन की चुप्पी कहीं आने वाले समय में किसी बड़े हादसे या सामाजिक असंतोष का कारण न बन जाए। यह शहर के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे ज़िले की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग जनता की शिकायतों पर ध्यान देते हैं या फिर चुप्पी साधे रहते हैं।





