नागपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र दीक्षाभूमि का दौरा किया और वहां स्थित डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर के केंद्रीय स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति के अध्यक्ष आर्य नागार्जुन सुरई ससाई ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
दीक्षाभूमि भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहां अक्टूबर 1956 में डॉ. आंबेडकर ने अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। यह स्थान भारत में सामाजिक परिवर्तन और समता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक स्थल पर भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष प्रार्थना की और अपनी श्रद्धा व्यक्त की। इसके बाद, उन्होंने आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार भी दर्ज किए। उनकी यह यात्रा सामाजिक समरसता और बौद्ध धम्म की शिक्षाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
दीक्षाभूमि: एक ऐतिहासिक धरोहर
दीक्षाभूमि केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि समानता, बंधुत्व और न्याय के सिद्धांतों का प्रतीक है। डॉ.आंबेडकर के बौद्ध धर्म ग्रहण के कारण यह स्थान दलित आंदोलन और सामाजिक न्याय की दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व रखता है।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा ने एक बार फिर डॉ. आंबेडकर के विचारों और उनके योगदान को स्मरण करने का अवसर दिया।