चंद्रपुर:
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के घुग्घुस और उसगांव में पिछले दो वर्षों से ज़मीन की खरीद-फरोख्त बड़े पैमाने पर हो रही है, जिसमें करोड़ों रुपये के काले धन के लेन-देन की आशंका जताई जा रही है. चर्चा है कि यह ज़मीन सौदा सरकारी मूल्य से चार गुना अधिक कीमत पर किया जा रहा है, और इसमें एक नामी कंपनी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है.
सूत्रों के अनुसार, यह कंपनी किसानों से औने-पौने दाम में ज़मीन खरीद रही है और सौदे की असल रकम सरकारी नोंदणी मूल्य से कहीं अधिक है. बताया जा रहा है कि सरकारी रजिस्ट्रेशन में ज़मीन की कीमत 5-7 लाख रुपये प्रति एकड़ दिखाई जा रही है, जबकि असल में किसानों को 25-40 लाख रुपये प्रति एकड़ नकद भुगतान किया जा रहा है.
काले धन और मनी लॉन्ड्रिंग का शक
इस पूरे सौदे में कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं:
इतनी बड़ी नकद राशि कहां से आ रही है?
क्या यह पैसा अवैध खनन, हवाला या अन्य भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है?
क्या कंपनी इस पर टैक्स चुका रही है?
क्या इसमें बेनामी संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग का खेल चल रहा है?
राजनीतिक और प्रशासनिक मिलीभगत का कितना असर है?
सरकार को हो रहा टैक्स का बड़ा नुकसान
अगर ज़मीन की वास्तविक कीमत 20-40 लाख रुपये प्रति एकड़ है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इसे केवल 5-7 लाख रुपये दिखाया जा रहा है, तो इससे स्टांप ड्यूटी, कैपिटल गेन टैक्स, GST, CGST और अन्य करों की चोरी हो रही है. इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो सकता है.
ED, CID, इनकम टैक्स और अन्य विभाग से जांच की मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे सौदे की ED, CID, इनकम टैक्स और अन्य एजेंसियों से जांच की मांग है. अगर इस पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला एक बड़े घोटाले का रूप ले सकता है.
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस मामले की गहराई से जांच करें और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें, ताकि ज़मीन की खरीद-फरोख्त में पारदर्शिता बनी रहे और काले धन का खेल बंद हो सके.