कोलकाता : भारत सरकार के अंतर्गत एमएसएमई मंत्रालय के अधीन एमएसएमई-डेवलपमेंट एवं फैसिलिटेशन ऑफिस की ओर से 19 व 20 मार्च, 2025 को कोलकाता के होटल हिंदुस्तान इंटरनेशनल में दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर का आईपी यात्रा कार्यक्रम (आईपी कार्यशाला) का आयोजन किया गया है. भारत सरकार ने एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैंपियन के रूप में बदलने के लिए इनक्यूबेशन, डिजाइन हस्तक्षेप और आईपीआर संरक्षण पहलों के संयोजन के माध्यम से एमएसएमई अभिनव योजना बनाने की कल्पना की.
एमएसएमई के लिए राष्ट्रीय स्तर के आईपी यात्रा कार्यक्रम का उद्घाटन विजय भारती (आईएएस, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार) ने किया. इस मौके पर डॉ.तपस कुमार बंद्योपाध्याय (प्रोफेसर, आईआईटी खड़गपुर), प्रमथेश सेन (पेटेंट और डिजाइन के संयुक्त नियंत्रक, कार्यालय प्रमुख, पेटेंट कार्यालय कोलकाता), एन.बाबू (डिप्टी रजिस्ट्रार, ट्रेड मार्क्स और जी.आई., कार्यालय प्रमुख, ट्रेड मार्क्स कार्यालय, कोलकाता), पी.के.दास (जे.डी. और एच.ओ.ओ., एमएसएमई-डीएफओ, कोलकाता) के साथ समाज की कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियां इसमें शामिल थे.
इस अवसर पर पी.के.दास (संयुक्त निदेशक और एच.ओ.ओ., एमएसएमई-डीएफओ, कोलकाता) ने पश्चिम बंगाल के लिए एमएसएमई के विशेष लाभ के लिए इस कार्यक्रम के आयोजन पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की. उन्होंने यह भी बताया कि कार्यक्रम में 300 से अधिक एमएसएमई के भाग लेने की उम्मीद है.
अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा, भारत सरकार ने आईपीआर के माध्यम से एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं, जो एमएसएमई के लिए एक नई अवधारणा है. जिसमें इनक्यूबेशन, डिजाइन हस्तक्षेप में आयाधुनिकता के बारे में एमएसएमई के बीच जागरूकता पैदा करने और उन्हें एमएसएमई चैंपियन बनने के लिए प्रेरित करने के लिए एकल मोड दृष्टिकोण में आईपीआर की सुरक्षा का संयोजन है. यह अत्याधुनिक गतिविधियों के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो विचारों के विकास को व्यवहार्य व्यवसाय प्रस्ताव में सुगम और निर्देशित करता है. जो समाज को सीधे लाभ पहुंचा सकता है और सफलतापूर्वक विपणन किया जा सकता है.
एमएसएमई इनोवेटिव स्कीम एमएसएमई मंत्रालय की इनक्यूबेशन, डिजाइन और आईपीआर योजनाओं का एक समामेलन है. ये तीनों योजनाएं अलग-अलग वर्टिकल के रूप में संचालित की जाती हैं, जिनमें आपस में जुड़ाव और अंतरप्रवाह होता है.
इस कार्यक्रम में बौद्धिक संपदा के अधिकारों पर कार्यशाला सह संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया था, जिसमें आईपीआर के विभिन्न घटकों पर बुनियादी समझ, एमएसएमई के संदर्भ में आईपी अभियोजन के प्रक्रियात्मक और विनियामक पहलू, आईपी रणनीति और स्टार्टअप, प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण चुनौतियों और अवसरों में आईपीआर की भूमिका, जीआई उत्पादों के लिए पैकेजिंग का महत्व और पैकेजिंग में आईपी का उपयोग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और व्यापार विकास पर आईपीआर का प्रभाव आदि पर विशेष ध्यान दिया गया.