‘आईएमसी’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमन्त पाटिल की अत्यावश्यक मांग
मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने देशभर के अन्य पिछड़े वर्गों, खासकर शोषित, पीड़ित और वंचितों को मुख्यधारा में लाने के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग की स्थापना की थी. आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. इसलिए इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने शनिवार को मांग की कि सरकार 18 से 22 सितंबर के बीच बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में जस्टिस रोहिणी आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश करे. इस संबंध में पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र भेजेंगे.
पाटिल ने यह भी भविष्यवाणी की कि अगर सरकार संसद में रिपोर्ट पेश होने के बाद सिफारिशों को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाती है, तो मोदी सरकार को आगामी आम चुनावों में फायदा होगा. आयोग की सिफ़ारिशें संसद में पेश कर सरकार को इस पर चर्चा शुरू करनी चाहिए. हालाँकि ये सिफ़ारिशें अभी तक सामने नहीं आई हैं, लेकिन पाटिल ने यह भी अपील की कि संसद को वंचितों को न्याय दिलाने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
देश में अन्य पिछड़ा वर्ग के ओबीसी उप-वर्गीकरण के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता में 2 अक्टूबर, 2017 को ‘रोहिणी आयोग’ का गठन किया गया था. रोहिणी अयागा ने हाल ही में कई विस्तारों के बाद, छह साल बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी. पाटिल ने यह भी मांग की कि वंचित ओबीसी के न्याय अधिकारों के लिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
रोहिणी आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा ओबीसी को आरक्षण के लाभों के असमान वितरण की सीमा की जांच करने और वैज्ञानिक तरीके से ओबीसी के उप-वर्गीकरण के लिए तंत्र, मानदंड और पैरामीटर तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी. आयोग को ओबीसी की केंद्रीय सूची में विभिन्न प्रविष्टियों का अध्ययन करने और दोहराव, अस्पष्टता आदि जैसी किसी भी त्रुटि को सुधारने की सिफारिश करने का काम भी सौंपा गया था. उप-वर्गीकरण के पीछे मूल उद्देश्य प्रत्येक ब्लॉक के लिए आरक्षण के प्रतिशत को सीमित करके ओबीसी श्रेणी की कमजोर जातियों को मजबूत समुदाय के बराबर लाना था. पाटिल ने दावा किया है कि अगर यह लक्ष्य हासिल हो गया तो वंचितों को न्याय मिलेगा.