नई दिल्ली, 9 मई: आज इतिहास के उन स्वर्णिम पृष्ठों को स्मरण करने का दिन है, जिनमें वीरता, स्वाभिमान और आत्मबल की अमिट छाप अंकित है। आज ही के दिन, वर्ष 1540 में, मेवाड़ के महान योद्धा और स्वतंत्रता के प्रतीक महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के ऐसे महानायक हैं, जिन्होंने मुग़ल सम्राट अकबर के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। उन्होंने हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध में अपनी अदम्य साहस और युद्ध कौशल से दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उनका प्रिय घोड़ा चेतक भी आज वीरता का प्रतीक बन चुका है।
महाराणा प्रताप का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने जंगलों में जीवन बिताया, कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपने आत्मसम्मान और मातृभूमि की स्वतंत्रता से कभी समझौता नहीं किया। उनका जीवन आज भी देशवासियों, विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
देशभर में आज महाराणा प्रताप की जयंती पर श्रद्धांजलि दी जा रही है। कई स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन कर उनके योगदान को याद किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी उन्हें लेकर श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आई हुई है।
महाराणा प्रताप का साहस, निष्ठा और आत्मबल आज भी यह संदेश देता है कि सच्चा नेता वही है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने मूल्यों से समझौता नहीं करता।