Landslide victims ignore:Now notice some other people!
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के घुग्घुस शहर के अमराई वार्ड में 26 अगस्त 2022 को हुए भूस्खलन को दो साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक पीड़ित परिवारों को स्थायी राहत नहीं मिली है. प्रशासन की लापरवाही और राजनीतिक उदासीनता के कारण ये पीड़ित अब भी अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
भूस्खलन की भयावहता और प्रभावित परिवारों की स्थिति
भूस्खलन की इस घटना में एक मकान जमींदोज हो गया था, और 169 परिवारों को तत्काल वहां से हटाकर अन्य स्थानों पर भेजा गया था. हालांकि, यह केवल एक अस्थायी समाधान था. सरकार की ओर से अब तक इन पीड़ितों को न तो नए मकान मिले हैं, न ही जमीन या पट्टे दिए गए हैं.
सरकार की नाकामी और राजनीतिक खेल
यह विडंबना ही है कि जब केंद्र और राज्य दोनों में सत्ताधारी पार्टी की सरकार है, तब भी इन पीड़ितों को उनका हक नहीं मिल रहा. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया जरूर है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी के नेता इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. इससे राजनीतिक साजिशों की आशंका भी पैदा होती है.
चंद्रपुर जिले के पूर्व पालक मंत्री, जिन्हें ‘विकास पुरुष’ कहा जाता है, उनकी सरकार में ही यह संकट बना हुआ है. उनके समर्थक उन्हें महान नेता के रूप में प्रस्तुत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन जब बात वास्तविक विकास की आती है, तो इन पीड़ितों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता.
अब कुछ अन्य लोगों को नोटिस!
2025 के तीसरे महीने में तहसील कार्यालय द्वारा अचानक घुग्घुस के कुछ परिवारों को सरकारी जमीन खाली करने का नोटिस थमा दिया गया. सरकार के इस फैसले ने कुछ को और अधिक संकट में डाल दिया है.
क्यासरकार सिर्फ श्रेय की राजनीति कर रही है?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भूस्खलन पीड़ितों की मदद के लिए योजनाएं बनाई गई थीं, तो वे अब तक लागू क्यों नहीं हुईं? क्या यह सिर्फ चुनावी वादे थे, जो अब जुमला साबित हो रहे हैं? या फिर यह विकास की राजनीति का एक और दिखावा मात्र है?
आगे क्या?
घुग्घुस के पीड़ित परिवार अब नेताओं और प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला. अगर जल्द ही इन्हें मकान, जमीन और पट्टे नहीं दिए गए, तो यह प्रशासन की एक और बड़ी नाकामी साबित होगी.
अब समय आ गया है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दे और इन पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए. वरना आने वाले चुनावों में जनता अपना जवाब जरूर देगी.