प्रयागराज: 29 जनवरी 2025, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मची भगदड़ की घटनाएं अब सवालों के घेरे में हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक उस दिन चार अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ की घटनाएं हुईं जिनमें 37 लोगों की मौत हुई, जबकि बीबीसी की गहन पड़ताल में मृतकों की संख्या कम से कम 82 बताई गई है।
बीबीसी ने दावा किया है कि उसे ऐसे 100 से अधिक परिवार मिले हैं जिन्होंने अपने परिजनों को कुंभ मेले की भगदड़ में खोया। इनमें से कई परिवारों को न तो सरकारी सहायता मिली और न ही उनकी मौत को आधिकारिक तौर पर दर्ज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ परिवारों को 25 लाख रुपए का मुआवज़ा मिला, कुछ को 5-5 लाख रुपए कैश में, और कई पीड़ित परिवार आज भी न्याय और सरकारी मदद की राह देख रहे हैं।
सरकार की मुआवज़ा नीति पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में कहा कि 37 मृतकों में से 35 के परिजनों को 25 लाख रुपए की सहायता दी गई। वहीं बीबीसी को ऐसे 36 परिवार मिले जिन्हें यह मुआवज़ा मिला। इसके अलावा, 26 और परिवारों को पुलिस द्वारा 5 लाख रुपए कैश दिए गए, लेकिन उनकी मौतों को सरकार ने भगदड़ से जोड़ने से इनकार किया।
बीबीसी ने उन दस्तावेज़ों और वीडियो फुटेज का भी हवाला दिया है जिसमें कैश बांटते समय परिजनों से अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण मौत के कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाए गए। इन भुगतानों का स्रोत और प्रक्रिया भी संदिग्ध बताई गई है।
दर्दनाक गवाहियाँ और चश्मदीदों की कहानियाँ
गोंडा के रहने वाले ननकन, पश्चिम बंगाल के विनोद रुइदास, बिहार की तारा देवी, उत्तर प्रदेश की रमपत्ति देवी और झारखंड के शिवराज गुप्ता जैसे कई नाम इस भगदड़ में जान गंवाने वालों की सूची में शामिल हैं। कई परिजनों ने शव की पहचान अस्पताल की मोर्चरी, फोटो या घटनास्थल पर मौजूद वस्तुओं के माध्यम से की।
गोरखपुर के पन्ने लाल साहनी और नगीना देवी, औरंगाबाद की सोनम कुमारी, और सुल्तानपुर की मीना पांडे जैसे मृतकों के परिजनों ने बताया कि वे कई घंटे तक शवों के साथ घटनास्थल पर मदद का इंतजार करते रहे लेकिन कोई सहायता नहीं मिली।
कल्पवृक्ष द्वार, संगम नोज़ और समुद्रकूप चौराहे जैसे स्थान बने हादसों के केंद्र
बीबीसी की जांच में सामने आया कि 29 जनवरी को कुंभ क्षेत्र में चार अलग-अलग स्थानों पर भगदड़ की घटनाएं हुईं – संगम नोज़, समुद्रकूप चौराहा, ऐरावत मार्ग और कल्पवृक्ष द्वार के पास मुक्ति मार्ग चौराहा। इन सभी जगहों पर दर्जनों लोगों की जान गई, लेकिन सरकार ने अब तक सिर्फ संगम नोज़ की घटना को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है।
प्रशासन की चुप्पी और पारदर्शिता पर सवाल
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक भगदड़ में मारे गए लोगों की आधिकारिक सूची प्रकाशित नहीं की है और न ही मुआवज़ा पाने वाले परिवारों की जानकारी सार्वजनिक की गई है।
उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक और प्रयागराज के जिलाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन जवाब नहीं मिला। वहीं, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से कहा, “अगर किसी ने अपनों को खोया है, तो हम संवेदना प्रकट करते हैं। सरकार उनके साथ है।”
बीबीसी की इस विस्तृत और भावनात्मक रिपोर्ट ने महाकुंभ 2025 की “सफलता की गूंज” के पीछे दब गईं सैकड़ों दर्दनाक आवाज़ों को सामने लाया है। सरकारी आंकड़ों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा फासला है, जिसे पाटने की जिम्मेदारी अब शासन-प्रशासन की है।
यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार की जवाबदेही और भीड़ नियंत्रण व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।





