चंद्रपुर : यह जिला अपने औद्योगिक नाम के लिए प्रसिद्ध है. आए दिन किसी न किसी इलाका सुर्खियों में रहता हैं. जिले में अब डीजल का कालाबाजारी सक्रिय हो गया है. इसका उदाहरण हाल ही में घुग्घुस पुलिस की कार्रवाई में देखा जा सकता है. लेकिन कालाबाजार जिले के विभिन्न इलाकों में यह खुलेआम चल रहा है. कुछ ऐसे ढाबे और पॉइंट्स हैं जहां डीजल 10 रुपये सस्ता और कई 10 रुपये महंगा बिकता है. लेकिन आसपास के पेट्रोल पंप मालिकों द्वारा संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज न कराने पर अब सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि जिला प्रशासन इस पर गौर नहीं कर रहा है और किसी अधिकारी को इसकी परवाह नहीं है. इस गोरखधंधे के पीछे किसका आशीर्वाद है और किसकी आड़ में यह गोरखधंधा चल रहा है, यह सवाल अब उठने लगा है.
चंद्रपुर तक पोर्टल न्यूज के अनुसार, रोजाना हजारों लीटर डीजल वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड की खदानों के अलावा विभिन्न कंपनियों के डिपो के अलावा चंद्रपुर और गढ़चिरौली जिलों के पेट्रोल पंपों पर भी भेजा जाता है. प्रत्येक टैंकर में जीपीएस सिस्टम लगे होने के बावजूद, नागपुर-चंद्रपुर राज्य राजमार्ग पर खंबाडा गांव से सिर्फ 3 किमी दूर तेम्बुर्दा ग्राम पंचायत के अंतर्गत मंगली गांव में एक ढाबे पर 50 से 80 टैंकर आते हैं. ड्राइवर प्रत्येक टैंकर से लगभग 200 से 400 लीटर डीजल निकालते हैं और इसे ढाबा मालिकों को 70 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं, जबकि ढाबा मालिक इसे क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टरों को 82-83 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं. बताया जा रहा है कि ढाबा मालिक के पास 4 टैंकर हैं और उसका एक पार्टनर एक डिसेल कंपनी में यूनियन लीडर है.
सूत्रों के अनुसार, विभिन्न इलाकों में यह गोरखधंधा कई महीनों से चल रहा है, लेकिन संबंधित विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है. इस डीजल चोरी से विभिन्न कंपनियों के मालिकों और ट्रक मालिकों को प्रतिदिन हजारों रुपये का नुकसान क्यों हो रहा है? संबंधित विभाग की उदासीनता व कार्रवाई के अभाव के कारण यह मामला समझ से परे होता जा रहा है.