चंद्रपुर : मानसून शुरू हो चुका है. इस अवधि के दौरान, कीट और जलजनित रोग तेजी से फैलते हैं. इस बीमारी को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ नागरिकों को भी एहतियात बरतने की जरूरत है.
मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जे.ई. ये रोग मुख्य रूप से बढ़ते हैं. बीमारी बढ़ने का मुख्य कारण मच्छरों का घनत्व बढ़ना है. मानसून के दौरान घर के आसपास और इलाके में पानी के गड्ढे बन जाते हैं. इन्हीं पोखरों में मच्छर अपने अंडे देते हैं और मच्छरों का घनत्व बढ़ जाता है. डेंगू और मलेरिया महामारी से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है. समय रहते इस महामारी से बचाव के लिए चंद्रपुर स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अभी से सावधानी बरतने की अपील की है.
आवासीय क्षेत्रों, गोदामों, खुले स्थानों, गड्ढों में बारिश के कारण जमा होने वाले पानी के गड्ढों को समय-समय पर नष्ट करें, पानी को प्रवाहित करें या यदि यह संभव न हो तो नियमित रूप से दो-चार बूंद तेल, मिट्टी का तेल डालें और मच्छरों को पनपने से बचाएं. सभी पानी के कंटेनरों को वायुरोधी कपड़े से ढका जाना चाहिए. भवन की छत पर पानी जमा न हो इसका ध्यान रखना होगा. पक्षियों और मवेशियों के लिए पानी के कटोरे को साफ किया जाना चाहिए. घर में कूलर, फ्रिज के ट्रिप पैन को नियमित रूप से साफ करें. सीवर बहने चाहिए, छोटे-छोटे गड्ढों को पोखरों से भरना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि गंदे पानी के लिए एब्जॉर्प्शन पिट तैयार किया जाए.
डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा फैलता है. यह मानव निवास के निकट अधिक आम है. गमलों, बेकार पड़े टायरों, फूलदानों, नारियल के छिलकों समेत अन्य जगहों पर पानी जमा होने पर एडीज एजिप्टी मच्छर पनपते हैं. यह प्रजनन मानसून के दौरान तेजी से होता है. इसलिए, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके क्षेत्र में पानी जमा न हो. एक बार घर, भवन, क्षेत्र में जमा पानी के स्थानों को खाली कर देना चाहिए. जिन स्थानों पर लार्वा बनने का खतरा हो उन्हें हटा देना चाहिए. घर के परिसर में कबाड़ का सामान या निर्माण सामग्री का भंडारण न करें. पानी की टंकियां साफ रखें,
इस बीच घर से बाहर या घर के अंदर जाते समय पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें. मच्छर रोधी मरहम, अगर बत्ती, ई. इस्तेमाल किया जाना चाहिए. सोने वालों को मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. घर की खिड़कियों पर पर्दा लगाना चाहिए. कठिन स्थानों या ऐसी जगहों पर जाने से बचें जहां मच्छर पनपते हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग ने भी अपील की है कि सप्ताह में एक दिन शुष्क दिवस के रूप में मनाया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गमले में पानी न रहे.